ध्यान मानव के अस्तित्व की मूल सत्ता का पोषण है। जीवन का आधार आत्मा है और ध्यान आत्मिक कल्याण का एकमात्र प्रयास है। ध्यान से आत्मा को ताकत मिलती है। आत्मा से मन को ताकत मिलती है और मन से शरीर को ताकत मिलती है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने मनुष्य को उल्टे वृक्ष की संज्ञा दी है। जिसकी जड़े उपर है और शाखाएं नीचे और हम सब जानते है कि जड़ को दिया गया पोषण सारे वृक्ष को लाभ देता है। ध्यान से रोगों का अवरोध भी सम्भव है। Diabetes और B.P    आज के युग की जो सबसे बड़ी परेशानी है । ध्यान के द्वारा दोनों में विलक्षण परिणाम आता है। इससे हाईपरटेंशन व अनिंद्रा के रोगो में भी लाभ मिलता है। ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति का संचार होता है और आप स्वस्थ महसूस करते है। आयुर्वेद में तीन दोष माने जाते है। वात, पित्त और कफ। जब वात, पित्त और कफ का संतुलन होता है तब स्वास्थ्य बना रहता है और जब यह संतुलन टूट जाता है तब स्वास्थ्य में गड़बड़ी हो जाती है। अध्यात्म के द्वारा इन तीनों दोषों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। यहां आयुर्वेद और अध्यात्म का मिलन होता है। ध्यान से रासायनिक परिवर्तन होते है और उनसे अनेक रोग मिटते है। clinical psychology से यह सिद्ध हो चुका है कि भाव से रसायन और रसायन से भाव प्रभावित होता है।

हमारे मस्तिष्क का भाग hypothalamus भावनाओं के प्रति संवेदनशील होता है। यह मस्तिष्क के अग्र भाग का वह हिस्सा है जिसे  तीसरी आंख कहा जा सकता है। भूख-प्यास, हर प्रकार की भावनाओं, शरीर के तापमान, पीयूष ग्रंथि और ऑटोनोमिक तंत्रिका प्रणाली nervous system पर इसका बराबर नियंत्रण रहता है। चित्त की चंचलता प्रभावित करती है hypothalamus को और यह प्रभावित करता है हारमोन्स व ग्रन्थियों को। हमारे अस्तित्व में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। मूल रूप से यह हार्मोन्स को release करने का कारण बनता है। इस तरह से जीवित रहने की सम्भावनाओं को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक जैविक प्रक्रियाओं को समायोजित किया जाएगा। जैसे ही मन भृकुटि पर टिकता है तैसे ही यह स्थिर होने लगता है साथ में नाड़ी संस्थान भी। तो आईए प्रतदिनि कम से कम 24 मिनट(एक घड़ी) सुखासन में स्थिरतापूर्वक बैठ कर ध्यान करे और अपनी मानसिक Immunity बढाएं।

 

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this