मुर्गी के अण्डे को यदि कबूतर सेयेगा तो क्या उससे कबूतर निकलेगा? स्पिनोजा के अनुसार सत्यता किसी की भी मनमानी इच्छा पर निर्भर नहीं रह सकती। जिस प्रकार यदि हम चाहे भी कि दो समानान्तर रेखाएं मिल जाए, तो भी ऐसा नहीं हो सकता। ध्यान चेतना के विकास की तकनीक है।

हर घटना का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए 1687 ई0 में भौतिक विज्ञान दर्शन शास्त्र से अलग हो गया तथा सत्य केवल उसे ही माना जाने लगा जिसे प्रयोगशाला में सिद्ध किया जा सके। लेकिन प्रत्येक तथ्य को प्रयोगशाला में ही सिद्ध नहीं किया जा सकता था इसलिए 1879 ई0 में मनोविज्ञान ने भौतिक विज्ञान से अलग राह पकड़ ली। मनोविज्ञान की स्थापना  के 101 वर्षो बाद 1980ई0 में परामनोविज्ञान की स्थापना ने विज्ञान की धारा का रूख वापिस दर्शन शास्त्र की ओर मोड़ दिया। इसी परामनोविज्ञान को भरतीय दर्शन में पराविद्या (Super Science) के नाम से जाना जाता है।

और ध्यान आत्मा में छिपे इसी आनन्द को जानने की कला है। सूर्य की किरणों से तब तक आग नहीं निकलती जब तक उन्हें एक बिन्दु पर केन्द्रित नहीं किया जाता। संसार का सार हमारा शरीर है, क्योंकि जान है तो जहान है। शरीर का सार ज्ञानेद्रियां है, क्योंकि इनके बिना शरीर मांस का लोथड़ा है। ज्ञानेंद्रियों का सार मन है, क्योंकि मन के बिना मनुष्य पागल है और मन का सार है -ध्यान । तो आईए यदि सचमुच आप अपनी क्षमताओं का विकास करना चाहते है तो प्रतदिन कम से कम 24 मिनट(एक घड़ी) सुखासन में स्थिरतापूर्वक बैठ कर ध्यान करे।

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