भाग्यविधाता ने हमारा भाग्य हमारे शरीर की बनावट पर अंकित कर दिया हैं। हमारी पसंद और नापसंद पिछले जन्मो से चली आती हैं और लगभग सारा जीवन हम इन्ही संस्कारो के अधीन बिता देते है। हमारे सभी निर्णय हमारी इन्ही इच्छाओं और रुचियों के अनुसार होते है जो हमें पिछले जन्मों से मिलती है। कहने को तो हम आजाद हैं लेकिन ये सिर्फ हमारा मुगालता हैं। सही मायने में आज़ाद तो वो है जिसने ध्यान के जरियें अपने इन सभी संस्कारों से मुक्ति पा ली हैं ।
मैंने अपने पिछले लेख में बताया है कि पूर्वजन्म में जीव का जैसा स्वरूप व गति होती है, इस जन्म में भी मनुष्य संस्कार वश उसी “आकृति और प्रकृति” का अनुसरण करता है। आज हम चर्चा करते है-नाक की बनावट के एक अन्य भाग की, जिसे medical science में columella कहते है। यह दोनों nostrils के बीच का भाग हैं। जहाँ से नाक की बनावट शुरू होती है उसे nose root कहते है। Nose root से नथुने तक की लम्बाई को नाक की लम्बाई माना जाता हैं। जब नाक की Nose root से columella तक की लम्बाई Nose root से नथुने तक की लम्बाई से ज्यादा हो तो मूढ़ता बढ़ जाती है और दूरदर्शिता व संवेदनशीलता क्षीण हो जाती है।
साईड से देखने पर यह नाक कुछ इस प्रकार दिखाई देगी। ऐसे जातक की निर्णय शक्ति बहुत कमजोर होती है। इनका अपना कोई विचार नहीं होता, सारी उम्र सुनी सुनाई बातों के सहारे गुजार देते है। ऐसे जातक को चाहिए कि वह परंपरागत क्षेत्रों में उन्नति का प्रयत्न करे और अपना हर निर्णय सोच समझ कर करे। किसी प्रकार की जल्दबाज़ी और शॉर्टकट का जोखिम न ले। अंगूठे की बनावट इस दोष को थोड़ा कम करती है। ज्योतिष हमें ये बताता है कि हम क्या थे और अध्यात्म हमें ये बताता हैं कि हम क्या हो सकते है? भाग्य की विरासत से हमें जो कुछ भी मिला हो, लेकिन इस जन्म के कर्मो से हम अपनी चेतना का विकास कर सकते हैं ।