“Dark Age” “Modern Age”
भले ही हम अंधकार युग से आधुनिक युग में आ गए है लेकिन अंधेरा अब भी कायम है। अंधकार युग में आंखें अंधेरे से अंधी थी और आज प्रकाश से अंधी है। इतने विकास के बावजूद भी मानव की आवश्यकता व कमजोरी में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। विकास वस्तु का हुआ है व्यक्ति का नहीं और इस विकास के कारण मनुष्य वस्तुवादी हो गया है तथा ये भूल गया है कि वस्तु व्यक्ति के लिए है, व्यक्ति वस्तु के लिए नहीं। हम एक ऐसी अन्धी दौड़ में शामिल है जिसका कोई अन्त नहीं। जीवन का लक्ष्य है-ठहराव। क्योंकि भागता हुआ व्यक्ति हाँफते हुए मर जाता है। कैसे कमाएं से ज्यादा महत्वपूर्ण है- कैसे जीएं । एक बार एक महात्मा ने किसी व्यक्ति से पूछा कि तुम क्या करते हो?
व्यक्ति- मैं व्यापार करता हूँ।
महात्मा- किस लिए?
व्यक्ति- धन कमाने के लिए।
महात्मा- धन क्यों कमाते हो?
व्यक्ति- भोजन के लिए।
महात्मा- भोजन क्यां करते हो?
व्यक्ति- जीने के लिए।
महात्मा- जीते क्यों हो?
इस प्रश्न का उत्तर वह व्यक्ति न दे सका। मनुष्य सारे काम जीने के लिए करता है। मगर वह यह नहीं जानता कि जीवन किसके लिए है। खुद को जाने बिना हम खुद की भलाई नही कर कर सकते। तो आईए खुद को समझने की दिशा में एक कदम बढाएं। प्रतदिनि कम से कम 24 मिनट ध्यान करे।