राशियों का सम्बंध मनोदशाओं से है। ऋषि-मुनियों ने आकाशचक्र को 12 राशियों में विभाजित किया है। अतः ये 12 राशियाँ 12 प्रकार की मनोदशाओं का प्रतिनिधित्व करती है। यहाँ एक बात गौर करने लायक है कि कुछ लोग अपनी राशि पाश्चात्य ज्योतिष के अनुसार देखते है जो की सौर मास पर आधारित है। यह राशि गणना एक-एक महीने तक एक-सी रहती है जैसे की 21 मार्च से 21 अप्रैल तक जिसका जन्म है उसकी मेष राशि होगी। लेकिन राशि निर्धारण का यह तरीका बिलकुल गलत है। मनुष्य मन से ही दुःख-सुख अनुभव करता है और भारतीय ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन का प्रतिनिधि है। इसलिए जन्म कुंडली में चंद्रमा जिस राशि पर बैठता है,वही जातक की जन्मराशि होती है।
ज्योतिष का जन्मस्थान भारतवर्ष है,अतः इस सन्दर्भ में भारतीय दृष्टिकोण निर्णायक है। राशि एक होने से भाग्य एक नहीं होता क्योंकि बाकि आठ ग्रहो की स्थिति सबके लिए एक-सी नहीं होती। योगदर्शन के अनुसार हमारे शरीर में योग के मूलाधार इत्यादि छह केंद्र है- 6 आँखों से नीचे और 6 आँखों से ऊपर। जन्मकुंडली में भी छह ही भाव(घर) होते है छह दिन के और छह रात्रि के। इन्ही 12 केन्द्रों से सम्बंधित 12 राशियाँ और 12 ही मनोदशाए है। ये मनोदशाए हमारी प्रतिक्रिया के स्तर का निर्धारण करती है और मानसिक स्वास्थ्य से इनका सीधा सम्बन्ध है। यदि हम इन 12 राशियों के स्वरुप को अच्छे से समझ ले तो लोगो के साथ हमारी व्यवहार कुशलता बढ़ जाती है।