आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा पद्धति का एक परंपरागत तरीका है। इसके नाम के साथ वेद का जुड़ना इसका संबंध वैदिक ज्योतिष से भी जोड़ता है। आयुर्वेद की कुछ औषधियों का निर्माण तो कुछ ख़ास नक्षत्रों में ही होता है। ज्योतिष हमें इस जीवन में ऊर्जा के वितरण का प्राकृतिक क्रम समझाता है। यह हमें हमारी प्रकृति को समझने में मदद करता है। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति तो पूरी तरह मनुष्य की प्रकृति के अध्ययन पर टिकी हुई है। चूँकि मनुष्य की प्रकृति उसकी जीवन शैली का निर्धारण करती है और असंतुलित जीवन शैली ही बीमारियों की पृष्ठभूमि होती है। यही वजह है कि एक होम्योपैथिक चिकित्सक मनुष्य की पसंद और नापसंद को जानने के लिए अनेक प्रश्न करता है और उसके पश्चात ही वह कोई दवा देता है। मनुष्य की प्रकृति को जानने के पीछे एक चिकित्सक का यही मंतव्य रहता है कि वह उसकी आदतों और अभिरुचियों के अनुरूप दवा दे सके ताकि वह जल्दी से ठीक हो जाए। लेकिन मनुष्य के मन की प्रकृति को समझने के लिए आयुर्वेद और होम्योपैथी से बेहतरीन आधार ज्योतिष है क्योंकि ज्योतिष में जन्मपत्री के आधार पर चंद्रमा की स्थिति मनुष्य के मन की प्रकृति की सही-सही रूपरेखा प्रस्तुत करती है।

यह जानकारी हमें केवल ज्योतिष से ही मिल सकती है कि किस ग्रह की किरणों का हमारे ऊपर नकारात्मक प्रभाव है और उस प्रभाव को दूर करने के लिए किस प्रकार की जीवनशैली और खानपान हमें अपनाना चाहिए। जैसे कि मंगल आदि किसी की जन्मपत्री में दूषित हो तो मंगल एक गर्म ग्रह है और यह हमारे शरीर में पित्त के कुपित होने का सूचक है। तो यदि यह बात जन्मपत्री के जरिए पहले ही पता चल जाए तो जातक अपने खानपान को लेकर पित्त को बढ़ाने वाली चीजों से परहेज करते हुए स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है। आयुर्वेद में तीन मुख्य दोष बताए गए हैं- वात, पित्त और कफ। इसी आधार पर ग्रहों को भी तीन प्रकार की प्रकृतिओं में विभाजित किया है। शनि, राहु और बुध वात प्रकृति के ग्रह हैं; इनके कुपित होने से वात रोग होते हैं। मंगल, केतु और सूरज पित्त प्रकृति के ग्रह हैं; इनके दूषित होने से पित्त कुपित रहता है। चंद्रमा, शुक्र और बृहस्पति कफ़ प्रकृति के ग्रह हैं; इन ग्रहों के पीड़ित होने पर मनुष्य को कफ जनित रोग होते हैं। इस प्रकार से जन्मपत्री के आधार पर बहुत पहले ही यह जाना जा सकता है कि कौन से ग्रह किस प्रकार के दोष को उत्पन्न करने की संभावना रखते हैं और इस तथ्य की पूर्व जानकारी स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निश्चित रूप से लाभदायक है।

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