विकासवाद के सिद्धांत के अनुसार मनुष्य का विकास बंदरों से हुआ है और अमीबा से मनुष्य तक के विकास की इस यात्रा का सबसे बड़ा उपहार अंगूठा है। धरती पर जितनी भी प्रजातियां पाई जाती है पृथ्वी पर उनमें से केवल बंदर और मनुष्य के पास ही अंगूठा है। लेकिन बंदर का अंगूठा विकसित नहीं है, अंगुलियों की तरह पतला और बिल्कुल विपरीत दिशा में है; जबकि मनुष्य का अंगूठा अंगुलियों से विकसित और सही आनुपातिक दूरी पर है। मैंने हजारों लोगों का अवलोकन करते हुए यह पाया है कि सभी का अंगूठा और चेहरा एक जैसा होता है। चेहरा लग्न का दर्पण होता है और अंगूठा चेहरे का प्रतिबिंब होता है। इसीलिए अंगूठे को पूरे संसार में सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। एक अंगूठे में मनुष्य की सम्पूर्ण पहचान छिपी हुई है। एक विवेकशील ज्योतिर्विद् अंगूठे के निशान से लग्न का निर्धारण कर सकता है। अंगूठे का हमारे मन से सीधा संबंध है। जब हम भ्रूण विज्ञान को पढेंगे तब पाएंगे की अंगूठे और अंगुलियों के निशानों की जो बारीक रेखाएं हैं उनके आकार और बनावट का संबंध हमारे मस्तिष्क की ग्रंथि हाइपोथैलेमस से रिलीज हुए हार्मोन से है और मुझे पूरा यकीन है कि जीवन के उस अति प्रारंभिक स्तर पर पूर्व जन्मों के विचारों की तरंगे ही हार्मोन के रिलीज होने के स्तर का निर्धारण करती हैं। क्योंकि हाइपोथैलेमस हमारे मस्तिष्क का सबसे बुद्धिमान हिस्सा है और संसार के संपर्क में आए बिना अर्थात जन्म से पहले ही यह हार्मोन के फ्रीक्वेंसी स्तर का निर्धारण कैसे करता है?

 

दरअसल हार्मोन्स के स्राव की आवृति दर क्या होनी चाहिए इसका निर्णय पूर्वजन्म के संस्कार करते है। भारतीय ऋषियों ने अपने ग्रंथों में कई जगहों पर अंगुलियों और अंगूठे पर पाए जाने वाले निशानों का जिक्र किया है। जिसके हाथ की अंगुलियों में से किसी एक पर चक्र का निशान हो तो वह धनवान होगा और पांचों उंगलियों पर यह निशान हो तो वह राजा होगा। इसी प्रकार इन बारीक़ रेखाओं में शंख और पर्वत आदि के परिणामों का भी वर्णन दिया गया है। विलियम जी बेन्हम ने इस बारे में लिखा है कि– “मस्तिष्क की प्रत्येक कोशिका एक इलेक्ट्रिक डायनेमो है जहां से विचारों की ऊर्जा बनती है और डायग्राम के रूप में हाथ और उंगलियों पर अंकित हो जाती है।” हमारे अंगूठे के सामने का जो हिस्सा है वह हमारे चेहरे का और जो पीछे का हिस्सा है वह हमारे सिर का प्रतीक है। एक तरह से अंगूठा हमारे मस्तिष्क का एक्सरे हैं। अंगूठे की प्रत्येक सूक्ष्म रेखा ट्रेन की पटरी की तरह है, जिस पर हमारे जीवन की गाड़ी चलती है। अंगूठे की इन बारीक रेखाओं में एक केंद्र भी होता है, जिसे चोटी कहते हैं। यह केंद्र अंगूठे के प्रथम पर्व के ठीक बीचो-बीच होना चाहिए। यदि इसका झुकाव दाएं, बाएं अथवा ऊपर, नीचे की तरफ होता है तो यह हमारे इस जीवन के विचारों और कार्यों के किसी एक दिशा में झुकाव का सूचक होता है। अंगूठे पर आठ दिशाएं होती हैं और आठों दिशाओं के स्वामी ग्रह भिन्न-भिन्न है। जिस दिशा की तरफ अंगूठे के इस केंद्र का झुकाव होता है उस दिशा के ग्रह की ही हमारी जन्मपत्री में प्रधानता रहती है।

 

भारतीय ज्योतिष के इसी सिद्धांत पर आधारित आजकल एक वैज्ञानिक टेस्ट प्रचलन में है, जिसका नाम है DMIT- Dermatoglyphics Multiple Intelligence Test. यह टेस्ट Genetics, Embryology, Psychology and Neuroscience की समझ पर आधारित टेस्ट है। इसके अनुसार अंगुलियों की छाप की बनावट और मस्तिष्क की बनावट समतुल्य होती है, इन दोनों का विकास गर्भकाल के दौरान ही एक साथ होता है। इनमे एक गूढ़ संबंध होता है, जो मनुष्य की जन्मजात क्षमताओं और संभावनाओं को दर्शाता है। DMIT के अनुसार अंगूठे की छाप कार्य करने की क्षमता को दर्शाती है। यह टेस्ट Howard Gardner की MI Theory पर आधारित है। लेकिन मेरी यह दृढ मान्यता है कि केवल DMIT परीक्षण ही व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए काफ़ी नहीं है, जातक की जन्मपत्री और मुखावलोकन भी अनिवार्य है और हाँ क्षमताएं भले ही सीमित हो लेकिन संभावनाएं अनन्त है सबकी। तो आइए अंगूठे की छाप के जरिए हम जाने कि हम क्या हैं, और क्या हो सकते हैं।

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