Dr. Tony Nader के द्वारा प्रस्तुत की गयी इस आकृति से भारतीय दर्शन की यह अवधारणा सिद्ध होती है की जो ब्रह्मांडे सोई पिंडे अर्थात जो कुछ भी इस संसार में है, वह सबकुछ manavमानव शरीर में भी है। मेरा मानना है की यदि इस ब्रह्माण्ड की कोई मूर्ती बनाई जाये तो वह मनुष्य शरीर जैसी ही होगी। इस आकृति में चंद्रमा की स्थिति Hypothalamus Gland पर है। यह मस्तिष्क का सबसे संवेदनशील और बुद्धिमान भाग है। हमारे अस्तित्व में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भूख-प्यास, स्मृति, भावनाएं, मनोदशा, शरीर के तापमान और nervous system पर इसका बराबर नियंत्रण रहता है।

ज्योतिष के अनुसार यही प्रभाव चंद्रमा का हमारे शरीर पर पड़ता है। चंद्रमा का भी हमारे मन के सभी भावों पर पूर्ण नियंत्रण रहता है, क्योंकि यह मन का प्रतिनिधि है। जन्मपत्री में चंद्रमा की स्थिति से जातक के मन की प्रकृति और हाइपोथेलामस की संरचना का पता चलता है। पीयूष ग्रन्थि Hypothalamus के ठीक नीचे स्थित है। पीयूष ग्रन्थि को master gland भी कहते है। पीयूष ग्रन्थि के माध्यम से Hypothalamus बाकि पांचो ग्रन्थियों पर अपना नियन्त्रण रखता है। चंद्रमा भी Hypothalamus की तरह सूर्य और बाकि पांचो ग्रहो के मध्य सामंजस्य रखता है। तनाव की स्थिति में सबसे पहले मस्तिष्क के hypothalamus क्षेत्र से हलचल होती है। इससे CRH एक हार्मोन और कुछ जैव रसायनो की उत्पत्ति होती है। ये रसायन दिल की धड़कन तेज करते है और बी पी बढ़ा देते है। यही काम चंद्रमा करता है। संसार के सभी प्रभावों को दो भागो में विभाजित किया जा सकता है – सुख और दुःख। चंद्रमा के भी दो ही पक्ष है– शुक्ल और कृष्ण। हाइपोथेलामस के द्वारा Release किये जाने  वाले  हार्मोन्स  में  भी  दो  प्रकार के ही प्रभाव होते है।

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