Thales of Miletus (624-550BC)

ईसा पूर्व छठी सदी से चौथी सदी का काल ग्रीक काल के नाम से जाना है। अन्धकार युग के बाद इसी काल में ज्ञान की शुरुआत हुई थी। इस काल को पेरिक्लीज़ युग के नाम से भी जाना जाता है। सम्राट पेरिक्लीज़ ने ही इस देश का नाम युनान रखा था। 145 ईस्वी में रोमनो ने इस पर अधिकार कर लिया तो इसका नाम ग्रीक रखा। इतिहास के जनक हेरोडोटस सम्राट पेरिक्लीज़ के दरबार के ही इतिहासकार थे। युनान यूरोप का एक प्रसिद्ध देश है और मिलेट्स इसी देश का एक द्वीप है जहां हमारे दार्शनिक थेलीज़ का जन्म हुआ।

थेलीज़ को दर्शनशास्त्र के पिता के रूप में जाना जाता है। इनका जन्म 624 ईस्वी पूर्व हुआ था। 35 वर्ष की आयु तक इन्होने काफी कुछ कमा लिया था उसके बाद का जीवन इन्होने सत्य की खोज में व्यतीत किया। ये युनान के सप्त ऋषियों में से एक थे। इन्होने ही सर्वप्रथम तर्क से सोचने की परम्परा डाली। इसीलिए इन्हें दर्शनशास्त्र का जनक कहा जाता है। लगभग 74 वर्ष की आयु मंआ इनका देहांत हुआ। लेकिन इनका एक महावाक्य बहुत प्रसिद्ध है – “खुद को पहचानो”। यह महावाक्य युनान के डेल्फ़ी शहर के सुप्रसिद्ध अप्पोलो मन्दिर के प्रवेशद्वार पर अंकित है। आगे चलकर इसी महावाक्य से सुकरात को प्रेरणा मिली थी और दार्शनिक विचारधारा का सिलसिला आरम्भ हुआ।

वे थेलीज़ ही थे जिन्होंने सर्वप्रथम इस प्रश्न पर विचार किया कि इस सृष्टी का मूल तत्व क्या है? इनके अनुसार जल इस सृष्टी का मूल तत्व है। शायद जल के किनारे रहने के कारण ही ऐसा विचार आया होगा। ये आयोनियन सम्प्रदाय के संस्थापक थे। ये एक प्रकृतिवादी दार्शनिक थे। इनका मानना था कि पृथ्वी एक डिस्क की भांति जल पर तैरती है। इन्हें विज्ञान का पिता भी कहा जाता है क्योंकि विज्ञान भी आखिर तर्कपूर्ण सोचने की प्रक्रिया ही तो है। कुल मिलकर सोचने की प्रक्रिया को अंधविश्वास से हटा कर तर्क के धरातल पर लाना ही इनकी मानव सभ्यता को सबसे बड़ी देन है।

3 Comments

  1. very impressive line navin ji , i am very impressed with your knowledge, philosophy & thoughts.

  2. After going through your blog, my belief of life beyond this materialistic world has been re-affirmed.

    Your blog is not just a brief narration of your life but a reflection of truly awakened mind state.

    The problem with majority of this world is that they just want to stick to the present because of sensual attachments and pleasures and not want to think beyond, fearing a unknown fear.
    But I hope you are not just a person but going to be a great institution, who will enlighten the path of many many who are searching the real truth!🙏

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