शब्द की महिमा
शब्द एक अमर और अविनाशी जीवनधारा है। जिसने सारे ब्रह्माण्ड की रचना की है। ना तो इसका कोई आदि है, ना अंत। शब्द हर प्रकार के भय से रहित एक ऐसी स्वयंभू व सर्वशक्तिमान सत्ता है जो अपने संपर्क में आने वाली जीवात्मा को अभयदान देता है। समय व स्थान की हर सत्ता में अंतर्यामी होते हुए भी शब्द इन …
Keep Readingसभी धर्मों में अनहद शब्द
संसार के सभी महान धर्मो में शब्दधुन का उल्लेख है। सभी धर्मो के महान संतों ने अपनी वाणियों में इसका वर्णन किया है। ब्राह्मी और खरोष्ठी दोनों लिपियों के अर्न्तगत आने वाली लगभग सभी भाषाओं में शब्दधुन का वर्णन मिलता है। सुमेरियन, एकेडियन, हिब्रू, ग्रीक, लेटिन, अंग्रेजी, चाइनीज़, संस्कृत, पाली, अरबी, फारसी, हिन्दी आदि भाषाओं में इसके नाम इस प्रकार …
Keep ReadingMeeting with a Spiritual Scientist
In each generation of human being there are enlightened souls but it is an irony that we search them nor in the present but in the past. Here we are the victim of the “inertia of contradiction”. We want everything of present rather than spiritual Master, but this is inevitable law of mysticism that only a Living Master can fulfill …
Keep Readingएक दिव्य पुरुष से भेंट
आध्यात्मिक जगत का यह अटल नियम है कि केवल जीवित सतगुरु ही जीवित शिष्य को दीक्षा दे सकता है | जिस प्रकार एक जीवित बीमार के लिए जीवित डॉक्टर की जरूरत होती है, उसी प्रकार जीवित शिष्य के लिए जीवित सतगुरु की ही जरूरत होती है | जो डॉक्टर मर चुका है, वह आज हमारा ईलाज नहीं कर सकता | …
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