मन की कमजोरियां और समाधान

मन की दो कमजोरियां है-इसे सबसे बड़ा आनन्द चाहिए और यह एक ही आनन्द से बोर हो जाता है। इन दोनों कमजोरियों का समाधान है शब्द में। शब्द के आनन्द में दो ऐसी विशेषताएं है जो मन की इन दोनों कमजोरियों को सदा के लिए समाप्त कर देती है।

पहली विशेषता है-परम आनन्द। परम आनन्द इसलिए क्योंकि सबसे अधिक आनन्द इसी में है। इससे बढकर शब्द की महानता क्या हो सकती है कि जो मौत सारे सुखों का अंत है शब्द उस मौत को ही परम आनन्द में बदल देता है। इसीलिए कबीर साहिब ने कहा था-

जिस मरने ते जग डरे, मेरे मन आनन्द।

 मरने ही ते पाइये, पूरण परम आनन्द।।

दूसरी विशेषता है-नवीन आनन्द। नवीन आनन्द इसलिए क्योंकि इसके आनन्द में सदा नवीनता रहती है जिससे आत्मा कभी बोर नहीं होती। हर बार की लीनता के साथ आत्मा को इसमें नवीनता का बोध होता है। इसीलिए श्री गुरू नानकदेव ने कहा था-

 नानक नाम चढती कला, तेरे भाणे सर्वत का भला।

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